नई दिल्ली: केरल में आई बाढ़ से हर को स्तब्ध है. तबाही की बाढ़ ने लोगों को लाखों जख्म दिए है, जो सारी जिंदगी वो नहीं बुला पाएंगें. अगस्त से लेकर अब तक बाढ़ के कारण करीब 400 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बाढ़ को सदी की सबसे भयानक बाढ़ कहा जा रहा है. सड़कें, पुल और घर पानी में डूबे हुए हैं. करीब 10 लाख लोग बाढ़ के कारण बेघर हो चुके हैं और अस्थायी राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं.
सोमवार (27 अगस्त) को पांडानाद गांव के लोग एक अंतिम संस्कार के लिए एकजुट हुए और ऐसे शख्स का अंतिम संस्कार किया, जो इस भयानक बाढ़ की कई कहानियां समेटे हुआ था. केरल में रहने वाली शोशम्मा आब्रहम के लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं था. उन्होंने बताया कि 16 अगस्त को बाढ़ का प्रहार हमारे घर पर हो चुका था. हमारे सीने तक पानी था. इस हादसे में हजारों का जान बचाने वाले शोशम्मा आब्रहम के पति की मौत हो गई.
पति के मौत का गम और आसमानी आफत दोनों का सामने करने के लिए उसने पति के शव को सीढ़ियों से बांधा और राहत का इंतजार करती रही. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, करीब दो दिन बाद उसे उसे मदद तो मिली, लेकिन राहत नहीं.
शनिवार को शोशम्मा आब्रहम को राहत शिविर से आलप्पुषा में मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया. उन्होंने बताया कि अपने पति के शव को एक एम्बुलेंस के अंदर प्लास्टिक की चादर में लपेट लिया. उन्होंने बताया कि मृत्यु के कई दिन हो जाने के बाद उनका शव बुरी तरह से क्षीण हो गया था, शरीर से गंध आ रही थी. सोमवार को बच्चों ने अपने पिता के क्षय शरीर को साफ करने के लिए कदम उठाए, और अंतिम संस्कार की औपचारिकताएं पूरी की गई.
चेंगानूर शहर और पंबा नदी के किनारे पांडानाद बाढ़ के सबसे बुरे प्रभावित गांवों में से एक था, जिसने 8 अगस्त से 328 लोगों को अब तक अपनी आगोश में ले लिया है. शोशम्मा और उनके पति आब्रहम एक पूर्व शिपिंग फर्म कर्मचारी थे. जो पिछले पांच सालों से गोवा से वापस आकर यहां रह रहे थे.
उस भंयानक दिन को याद करते हुए शोशम्मा ने बताया कि 15 अगस्त को शाम 6 बजे के आस-पास उनके मकान में करीब 3 फीट तक पानी भर गया था. आधी रात तक उनके पति जरूरी सामान को संभालने का काम कर रहे थे. जैसे-तैसे रात गुजारने के बाद वो सुबह उठी तो देखा कि मकान के नीचले तल पर पानी भर चुका है और वो बाहर नहीं निकल सकती. उन्होंने बताया कि उनके पति जैसे तैसे नीचे उतरे और गेट से बाहर निकलकर लोगों की मदद के लिए निकले, लेकिन वापस जिंदा नहीं लौटे.
उऩ्होंने बताया कि करीब दो घंटे के बाद जब उनका पति घर नहीं लौटा, तो वो घर से बाहर निकली और उन्हें ढूंढने का काम शुरू किया. तैर के उन्होंने अपने पति का ढूढंना शुरू किया, जैसे ही वो तैर के घर के पीछे पहुंची. तो एक शव से उन्होंने ठोकर खाई. काफी देर की मेहनत के बाद शव को जैसे-तैसे निकाला, तो देखा शव उनके पति का ही था. बाढ़ से घिरे एरिये से जैसे-तैसे शव को घर तक लाए और शव को सीढ़ियों से बांध दिया.
शोशम्मा के बेटे जोजो ने बताया कि फोन पर उनकी मां वहां का जानकारी दे रही थी. 15 अगस्त के बाद 16 अस्गत की भी कुछ घटनाओं के बारे में जानकारी मिली, लेकिन फिर अचानक फोन कट गया, जिसके बाद मस्कट में रहने वाले जोजो ने रेस्क्यू के लिए इधर अधर फोन किए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि मौत के बाद तीन दिनों तक शव रखे रहने की वजह से शव की हालत बहुत ही बेकार हो चुकी थी. सोमवार को बड़ी मशक्कत के बाद जैसे-तैसे पिता का शव मिला, जिसके बाद बॉडी को साफ करके अंतिम संस्कार को पूरा किया गया.