सत्यव्रत के बेटे लड़ रहे हैं सपा के टिकट पर चुनाव
इस बार आलम यह है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता सत्यव्रत चतुर्वेदीके बेटे नितिन चतुर्वेदी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. छतरपुर कांग्रेस में उठी बगावत की चिंगारी यहीं नहीं रुकी बल्कि नितिन ने राजनगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन भी दाखिल कर दिया है. हालांकि मीडिया से मुखातिब हुए सत्यव्रत चतुर्वेदी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी है. सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा, “मैंने कांग्रेस नहीं छोड़ी है न ही कांग्रेस की विचारधारा. अगर कांग्रेस ने 15 साल तक कोई गलती की और उस गलती को दोहराया जा रहा है तो अन्याय करना जितना बड़ा पाप है उतना ही बड़ा पाप अन्याय सहना है.”
आपको बता दें कि सत्यव्रत चतुर्वेदी छतरपुर संभाग के बड़े ब्राह्मण नेता हैं. वे मध्यप्रदेश में विधायक, मंत्री और सांसद रह चुके हैं. इनको राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का मुखर विरोधी भी माना जाता है. समय-समय पर वे दिग्विजय सिंह की खिलाफत करते रहे हैं. ऐसे में उनके अपने बेटे के समर्थन में सपा के लिए प्रचार करने के लिए उतरना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. गौरतलब है कि सात नवंबर को दिवाली की रात कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 29 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया था. सूची जारी होने के कुछ ही देर बाद पार्टी में बगावत के सुर उठने लगे थे.
राजनीति से है दशकों पुराना नाता
सत्यव्रत चतुर्वेदी के बारे में आपको बता दें कि उनका जन्म 13 जनवरी 1950 के एक राजनैतिक परिवार में हुआ था. उनके पिता स्व. बाबूराम चतुर्वेदी मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. छतरपुर में उनकी पिता की याद में एक स्टेडियम भी बनाया गया है. सत्यव्रत चतुर्वेदी की मां स्व. विद्यावती चतुर्वेदी भी विधायक होने के साथ-साथ लोकसभा और राज्यसभा सांसद भी रह चुकी हैं. यहां आपको यह भी बता दें कि सत्यव्रत चतुर्वेदी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में बनाई गई समन्वय समिति के सदस्य भी हैं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता रह चुके हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि राज्य में मुख्यमंत्री पद का चेहरा सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया हो सकते हैं और उनका कोई विकल्प नहीं है.
राजनैतिक सफर
1980-84 और 1993-97 विधायक मध्य प्रदेश विधानसभा, 1983-84 उप मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार, 1999 फरवरी से 2004 सदस्य तेरहवीं लोकसभा, 3 अप्रैल 2012 से 2 अप्रैल 2018 तक राज्यसभा सांसद. इसके अलावा सत्यव्रत चतुर्वेदी तमाम महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा भी रहे हैं.